Wednesday 2 June 2021

MOTIVATIONAL GHOST

नमस्कार, 
यदि आप इसे पढ़ने जा रहे हैं तो आपका आभार प्रगट करता हूं। मैं पूरी कोशिश करूंगा की आपका बहुमूल्य समय निरर्थक न जाए। 
मेरा उद्देश्य किसी की भावना, विचार या सप्रदाय को ठेस पहुचाना नहीं हैं। इसमें लिखी गई कई बातें या विचार किसी को गलत या बुरी भी लग सकती हैं। इस ब्लॉग के द्वारा मेरा लक्ष्य लोगों के जीवन के हर संभव पहलू को दर्शाना हैं ताकि वह वास्तविक किस्म की स्वतंत्रता को सहज रूप से उपलब्ध हो। यहां पर कही गई सारी बातो का आधार तर्क और मनन हैं। किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए मैं क्षमा याचना करता हूं। 
तो आरंभ करते हैं। 
आज के आधुनिक युग मे जहां जीवन को सबसे ज्यादा खुशहाल होना चाहिए, वही लोगो का जीवन नर्क जैसा चल रहा है। उन्हें अपनी जिंदगी बस आराम करने के दौरान ही अच्छी लगती हैं। बहुत से सामाजिक कार्यकर्ता, सन्त और महात्मा किस्म के प्राणी जीवन की इस विगड़ी हुई दशा को सुधारने की कड़ी मेहनत कर रहे हैं। पर नतीजे बकवास ही निकल रहे हैं। फिर भी लोग जीवन बदलने और दुसरो का  बदलवाने में अनुयायी या शिष्य बनाते जा रहे हैं। कोई प्रचीनता को सत्य बता रहा है, कोई आज को, तो कोई आने वाले कल को। कोई उम्मीद छोड़कर चल रहा है, तो कोई उम्मीद न होने पर मरने तक भी जा रहा हैं। खैर, हम सबको इतना तो आभास हैं ही कि जीवन बचपन जितना संपन्न हो सकता हैं यदि मानसिकता अपने सहज रूप से प्रभाशाली हो। 
विचारदृष्टि से देखना ही पड़ता हैं, क्योंकि प्रकृति का विकास एक सीमा पर रुक सा गया हैं। अब जो भी बदलाव घटित हो रहे हैं उसमें मानवीय हस्तक्षेप हैं। इंसानो ने ही प्रकृति को समझ कर आगे सभ्यता खड़ी की हैं। मानव विचारों के आदान-प्रदान के द्वारा इतना शशक्त हो पाया हैं। इसीलिए आज के समय में भी विचारिक मनन अनिवार्य है। 
इस दुनिया में तथाकथित नैतिकता का बखान करने वाले बहुत सारे व्यक्ति विशेष हैं, जो हर संभव प्रयास करके सामाज को दिशा देने मे लगे हुए हैं। पर ऐसा बहुत कुछ हैं जो सही नहीं हैं। कोई होना चाहिए जो उनके नजरिये या विचार का पर्दाफाश करे। इसलिए नहीं कि वह गलत हैं, इसलिए कि उन से भी बेहतर कोई हो सकता हैं, जो उनकी विचारिक बनावट को दर्शाता हो। फिर वह कोई भी हो। सार्थक विचार बोलने वाले अच्छे लेखक हो सकते हैं। पर एक अच्छा लेखक प्रभावशाली वक्ता हो, ऐसा कम ही होता हैं। इसीलिए बहुत सारे मोटिवेशनल यूट्यूब पर नहीं आ पाते या उनके आने में समय लग जाता हैं। 
तो हम सभी मिलकर मनन शुरू करते हैं। 
Thought: Weak people revenge, Strong people forgot, intelligent people ignore. 

अर्थ: कमजोर लोग बदला लेते हैं, ताकतवर लोग क्षमा कर देते हैं, बुद्धिमान लोग अनदेखा करते हैं। 

हीरा: कमजोर, ताकतवर और बुद्धिमान तीनों शब्द मानवो ने  अपनी सुविधानुसार व्यवहार और विचार रचना करने हेतु बनाए हैं। जिसका अंतरिक्ष के सिदातो से कुछ लेना देना नहीं। 
यह विचार इंसानो के चाल चलन लागू होते हैं। पर तब तक जब तक कि मानव का व्यवहार बदल न जाए। 
बदला लेना, दूसरे शब्दों में सबक सिखाना। अब आदमी में बदले की भावना तभी पैदा होती हैं जब कोई दूसरा आदमी किसी तरीके से नुकसान कर चुका हो। नुकसान हो चुका है, इसीलिए प्रतिशोध उत्पन्न हुआ। अगर नुकसान नहीं हुआ होता तो वह सहज रूप से माफ हो जाता। इसमें किसी को कुछ करने की जरूरत नहीं होती। 
हम उसे अनदेखा भी तभी करेगे जब हम देख चुके हैं कि वह हमारा नुकसान कर चुका हैं। 
मतलब की मैं खुद को बुद्धिमान (intelligent) दिखाने के लिए उस आदमी को देखते हुए अनदेखा (ignore)करू, जो अपनी कमजोरी (weak) छुपकर पूरी ताकत (strong)से मेरा नुकसान कर चुका है। फिर अपनी ताकत(strong) दिखने के लिए उसे माफ भी करु, अपनी कमजोरी छुपाने के लिए बदला (revenge) भी न लू। वह मुझे मूर्ख, कायर और डरपोक ही समझेगा, न कि अल्बर्ट आइंस्टीन। 
यह बात देखने मे सही सी लग रही हैं क्योंकि हम इंसान व्यवहार को जीने के लिए अहमियत देते आ रहे हैं। व्यवहार के मामलों में जिस चीज को समाज गलत मानता हैं। उसे करना ही नहीं चाहिए। पर अल्बर्ट आइंस्टीन जी ने कई ऐसे काम या खोज तभी की है जब वह समाज की व्यवहारिकता छोड़कर दूर अपनी लैब में थे। 
जब वह अपनी कोई खोज समाज के व्यवहार में लेकर आए तब लोगो ने उन्हें बुद्धिमान कहा। हो सकता हैं उन्होंने अपना किसी प्रकार का बदला "खोज" करके लिया हो। तभी ये विचार उनके मन मे आया। अगर यह उनके मन की उपज थी तो उन्होंने जरूर वह सब किया है (revenge, forgive, ignore)।  
इस विचार का प्रभाव यही है कि हम बुद्धिमता और ताकत के दिखावे में लोगो को अनदेखा और माफ करते रहेगे। हमारी खुद की वास्तविकता कभी भी फलित नहीं हो पाएगी। फिर हम सरकार और बड़े लोगों के आँगन में कर्मचारियों की तरह काम करते करते दुनिया से लापता हो जाएंगे। 
यह भी हो सकता हैं कि यह विचार किसी आम इंसान का बनाया गया हो। बस उसने उनका नाम जोड़ दिया हो। ताकि लोग भर्मित हो और व्यवहार करने मे उलझे रहे। कही सभी के सभी आइंस्टीन न बन जाए। बस उन्हें माने। अपना दिमाग खर्च न करे। 
यह उन्होंने इसलिए बोला होगा ताकि लोगो को यह न लगे कि उन्हें दुनियादारी का कुछ पता नहीं हैं। 

Thought: Once you become fearless life becomes limitless. 

अर्थ: जब आप निडर बन जाते हैं, तब जीवन असीमित (विशाल) बन जाता हैं। 

हीरा: डर होना जीवन की बनावट का हिस्सा हैं। निडर का यहाँ जो असर हैं, वह हैं-और ज्यादा डर जाना, खुद को ही किसी के कहने पर कुछ इस तरीके से डराना, इतना ज्यादा डराना की, छोटा डर दब जाए। जब डर दब जाता हैं तो निडरता का अनुभव होता हैं। इस प्रकार की निडरता जीवन को विचारिक रूप से अंधा बनाती हैं। 
किसी के द्वारा बोली गई बात जब कहे अनुसार सच होने लग जाए। तो हम अपने मन के अंदर की बहुत सी बातों को अनसुना करना शुरू कर देते हैं। जो आगे चलकर जीवन के लिए नुकसानदेह बनती हैं। 
नुकसान का दोष हम किस्मत को देने लगते हैं। ना कि अपने अनसुने व्यवहार को। तब हालात और ज्यादा खराब होने लगते हैं। फिर भी जिस विचार ने हमें बर्बाद किया उसी को दोहराते रहते है। 
जीवन बचपन से ही असीमित हैं, विशाल हैं। इसे छोटा वही बना रहे हैं। जिनको ज्ञान होने का खुद पर दूसरों से ज्यादा शक हैं। जिनको पैसा सरकारी नौकरी जैसा मिलने लग जाए, अपनी किसी व्यसायी तरकीब से। आज हर किसी के पास कोई न कोई व्यसायी तरकीब होती हैं। बस उसे पैसा और स्रोत नहीं मिल पाते। इसमें कुछ गलत नहीं हैं, बस एक नजरिया हैं। किसी बड़े विशेष आदमी को देखने का। 
निडर होकर हम असीमित नहीं होते, बल्कि जीवन की उस सीमा में आ जाते हैं, जहाँ हम मरने या मारने की हद तक चले जाते हैं। सारा आतंकवाद निडर होता हैं। वेखौफ़ आदमी ही खौफ फैलता हैं। सिपाही को आम जनता के अहित का डर होता हैं। 
जीवन की विशालता (limitless) का ज्ञान ही डर को समझने में आता हैं। डर की समझ तभी विकसित होगी जब हम डरपोक होंगे। डर जीवन की रक्षा करने के लिए आया है। वह डर ही हैं जिस ने तुम्हें अभी तक जिंदा रखा हैं ताकि अपने जीवन को बेहतर बना पाओ। 
इस धरती पर जो भी हैं उसमें अपने मतलब के लिये गलतिया निकालने वाले इंसान ही हैं। इन्सानी शरीर मे कुछ भी गलत नहीं है।